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लेखनी कहानी -01-Jun-2022 डायरी जून 2022

कोरोना के साइड इफेक्ट 


सखि, 
आज तो बहुत गजब की बात पता चली है । अब तुम्हारे पेट में भी खलबली मचने लगी होगी ना कि वह गजब की बात क्या है ? सब्र रखो , अभी बताते हैं । 

आज पता चला है सखि कि कोरोना से याददाश्त भी चली जाती है । है ना गजब की बात ? तुम्हारे भी होश फाख्ता हो गये हैं ना ? बात है ही कुछ ऐसी कि ऐसा होना स्वाभाविक है । मेरे भी हो गये थे, जब मैंने भी सुना था । मुझे तो डर लग रहा है कि मेरी याददाश्त भी कहीं चली नहीं गई हो ? तो मैंने आज घर में कह दिया कि मेरी याददाश्त भी चली गई है । मुझे भी तो कोरोना हो गया था । पर मेरी बात पर कौन यकीन करता ? 

मैंने यू ट्यूब चैनल खोला और वहां पर एक वीडियो में बताया जा रहा था कि विश्व की सबसे कट्टर ईमानदार पार्टी के सबसे कट्टर स्वास्थ्य मंत्री जो आजकल "जेल यात्रा" पर हैं ने प्रवर्तन निदेशालय को बताया है कि उनकी याददाश्त चली गई है । जब उनसे कारण पूछा कि याददाश्त कैसे चली गई तो बड़ी मासूमियत से कहा "कोरोना हो गया था जी" । 

अब सखि , तुम तो जानती ही हो कि सबसे कट्टर ईमानदार पार्टी के सबसे कट्टर मुखिया की सरकार में सबसे कट्टर ईमानदार स्वास्थ्य मंत्री ने जब ये बात कही थी तो इस बात पर तो विश्वास करना ही पड़ेगा ना । अरे , वैसे ही जैसे उन्होंने अपनी विधान सभा में सिद्ध कर दिया था कि ईवीएम हैक की जा सकती है । तब से सब लोगों ने यह मान लिया है कि जब कट्टर ईमानदार मुखिया या कोई कट्टर ईमानदार स्वास्थ्य मंत्री कुछ कहता हो तो उसे "ब्रह्म वाक्य" मान कर उसे "ग्रहण" कर लेना चाहिए  । जो ऐसा नहीं करता है वह तानाशाह,  भ्रष्ट,  सांप्रदायिक,  साइकोपैंथ,  हिटलर घोषित कर दिया जायेगा । और तुम तो जानती हो सखि, कि यह लाइसेंस तो इन्हें वर्ष 2012 से मिला हुआ है । जिसे भ्रष्ट कह दिया वह "प्रमाणित" भ्रष्ट है । सबसे कट्टर ईमानदार मुख्यमंत्री के अलावा ऐसा प्रमाण पत्र देने वाला और कौन हो सकता है ? 

तो एक बात बताओ सखि, कि वह कट्टर ईमानदार स्वास्थ्य मंत्री सन 2020 में कोरोना से ग्रसित हुआ था । इसका मतलब यह हुआ कि वह सन 2020 से ही याददाश्त खो चुका था । अब यह प्रश्न उठता है सखि कि जिसकी याददाश्त खो गई हो वह मंत्री के जैसे जिम्मेदार पद पर कैसे काम कर सकता है ? इसने पता नहीं कितने हस्ताक्षर किये होंगे कागजों पर । और वो भी बिना याददाश्त के । पर मीडिया उसे कटघरे में कभी खड़ा नहीं करता है ? 

अब तुम पूछोगी " ऐसा क्यों" ? 
एक ही कारण है सखि, "पैसा । जब विज्ञापन का पैसा जेबों और मुंह में इतना ठूंस दिया जाये कि वह ओवरफ्लो हो जाये , तो मीडिया और पत्रकार "सवाल" नहीं पूछते हैं , वाह वाही करते हैं । यहां भी ऐसा ही हो रहा है सखि ? कोई पत्रकार ये भी नहीं पूछता है कि जब याददाश्त ही चली गई तो काम कैसे किया" ? 

मगर एक बात याद रखना सखि , कि यदि कोई बात सबसे कट्टर ईमानदार मुख्यमंत्री ने कही हो तो उसे तुरंत मान लेना चाहिए । तुमने तो "मौहल्ला क्लीनिकों" का हाल देखा ही है सखि । अब विद्यालयों की पोल भी धीरे धीरे खुल रही है कि वर्ल्ड क्लास स्कूल कैसे हैं और उन्हें दिखाया कैसे जा रहा है ? 

अभी तो एक सत्यवान मंत्री की याददाश्त गई है, सखि , अब आगे देखना कि किस तरह महाराष्ट्र,  पश्चिम बंगाल,  नई दिल्ली, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडू जैसे राज्यों में अब बहुत से मंत्रियों की याददाश्त जाने वाली है । 

आगे आगे देखना और कितने ड्रामे देखने को मिलेंगे । अभी तो शुरुआत है , बस । 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
14.6.22 

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3 Comments

Radhika

09-Mar-2023 12:45 PM

Nice

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Gunjan Kamal

15-Jun-2022 03:45 PM

बेहतरीन

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Pallavi

15-Jun-2022 08:07 AM

Nice post

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